सँसार में अक्सर ऐसा देखा गया है कि अधिकांश मनुष्यों का जीवन सत्संग के अभाव में आध्यात्मिक ज्ञान नहीं होता, इसलिए अक्सर ज्ञान के अभाव में मनुष्यों के अधिकांश कर्म सकाम भाव से स्वयं के सुख से प्रेरित ही होते हैं अर्थात् रजोगुण से ही प्रभावित कर्म होते हैं, क्योंकि ज्ञान मिलने पर ही सतोगुणी स्थिति बनती है और लम्बे समय तक सतोगुणी स्थिति बने रहने से ही कर्मों में निष्कामता आने लगती है.....सुधीर भाटिया फकीर
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