सच्चिदानंद शब्द, जोकि भगवान का ही एक पर्यायवाची नाम है, जबकि प्रकृति केवल सत्य है, दूसरी ओर जीव/आत्मा सत्य के साथ-साथ चेतन भी है, लेकिन आनंद रहित है. केवल परमात्मा ही आनंद है यानी सच्चिदानंद है, इसलिए प्रत्येक आत्मा सदा दुख रहित सुख यानी आनंद की प्राप्ति के लिए ही सदा प्रयत्नशील रहती है, जोकि प्रकृति में है ही नहीं ?.....सुधीर भाटिया फकीर
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