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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

प्रकृति के सभी जीव जैसे वृक्ष, कीड़े-मकोड़े, कीट-पतंगे, पक्षी, पशु कभी भी अपना स्वभाव नहीं बदल सकते, जबकि अक्सर जीव मनुष्य योनि में ही आ कर अपना स्वभाव बिगाड़ लेता है। प्रकृति के पदार्थों को मर्यादा से अधिक भोगने से ही हमारा स्वभाव बिगड़ता है और सतो का संग यानी सत्संग करते रहने से ही हमारा स्वभाव सुधरता है.....सुधीर भाटिया फकीर

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