शास्त्रों के अनुसार यानी परमात्मा की आज्ञानुसार जीवन जीने से जीवन में उमंग-उल्लास बना रहता है, अर्थात् जीवन ही एक उत्सव लगने लगता है, जबकि शास्त्रों के विरुद्ध जीवन जीना ही एक अधर्म है, जिसके फलस्वरूप मनुष्य की मरने के बाद अधोगति का रास्ता बनता जाता है.....सुधीर भाटिया फकीर
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