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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

किसी भी मनुष्य की सही पहचान उसे देखने मात्र से कभी नहीं हो सकती। एक साधारण मनुष्य की प्रथम पहचान उसके द्वारा बोले गए शब्दों द्वारा हो सकती है, लेकिन यह पहचान भी आंशिक रूप से ही होती है, जबकि पूर्ण पहचान तो उसके द्वारा होने वाले कर्मों से ही होती है, क्योंकि कर्म अन्तकरण में बने हुए संस्कारों/स्वभाव के अनुसार ही होते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

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