सँसार में अक्सर ऐसा देखा जाता है कि एक साधारण मनुष्य की स्थूल इन्द्रियाँ भोग-विषयों के प्रति तो जागरूक बनी रहती है, लेकिन मनुष्य का आरम्भिक सत्संग अक्सर बेमन से ही देखा जाता है, जिसके फलस्वरूप व्यवहार में मनुष्यों का रजोगुण या तमोगुण ही प्रधान बना रहता है.....सुधीर भाटिया फकीर
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