24 तत्वों वाली भौतिक प्रकृति मनुष्य योनि में ही किए गए सकाम कर्मों के आधार पर यानी पाप कर्मों का दुख रुपी फल और पुण्य कर्मों का सुख रुपी फल देती है, जबकि भगवान निष्काम कर्म, आध्यात्मिक ज्ञान व भक्ति के आधार पर ही प्रसाद के रुप में आनन्द रुपी फल देते हैं, जबकि भगवान ने हम सभी मनुष्यों को शास्त्रों के ज्ञान के साथ-साथ कर्म करने की स्वतंत्रता भी प्रदान की है.....सुधीर भाटिया फकीर
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