हम सभी मनुष्यों द्वारा किए गए सभी प्रकार के कर्म और विकर्म प्रकृति रूपी मिट्टी में बोये गए बीजों के समान है, जो दिनों, महीनों, सालों या अगले जन्म/जन्मों में यानी एक समय अंतराल के बाद पक जाने पर सुख-दुख रुपी फल अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियों के रुप में देते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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