Skip to main content

"सन्ध्या-बेला सन्देश"

हम सभी मनुष्यों द्वारा किए गए सभी प्रकार के कर्म और विकर्म प्रकृति रूपी मिट्टी में बोये गए बीजों के समान है, जो दिनों, महीनों, सालों या अगले जन्म/जन्मों में यानी एक समय अंतराल के बाद पक जाने पर सुख-दुख रुपी फल अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियों के रुप में देते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24