मनुष्य को अपने जीवन में भूल कर भी धन यानी अर्थ को अपने जीवन का लक्ष्य नहीं बनाना चाहिए, अन्यथा मिले हुए जीवन का अर्थ ही समाप्त हो जाएगा. जीवन का लक्ष्य सदा ही परमात्मा को बना कर रखो, ताकि हमारे जीवन में हर क्षण उसका चिंतन बना रहे, ताकि दीर्घकाल तक बना हुआ चिंतन ही हमारा स्वभाव बन जाए.....सुधीर भाटिया फकीर
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