भौतिक प्रकृति अपने आप में तो जड़ कही जाती है, लेकिन परमात्मा की शक्ति पाकर हर पल क्रियाशील दिखती है। शक्ति कहीं भी हो, अपना कार्य सदा ही अदृश्य रूप से करती है, जैसे विद्युत-शक्ति फ्रीज में रखे हुए पानी को ठंडा और हीटर पानी को गरम करने का काम करता है, इसी तरह शुभ कार्य/सत्संग हो या अशुभ कार्य/कुसंग, दोनों ही मनुष्यकृत कार्यों में भगवान की शक्ति अपना कार्य अदृश्य रूप से ही करती है.....सुधीर भाटिया फकीर
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