प्राय: ऐसा देखा जाता है कि आकाश में उड़ने वाले मच्छर, तितली, चिड़िया, कबूतर और गिद्ध आदि सभी जीवों के उड़ने की ऊँचाईयों में भेद बना रहता है, उसी प्रकार सत्संग करने वाले मनुष्यों की श्रद्धा रूपी गहराइयां भी अलग-अलग होती है, अर्थात् सभी श्रोता अलग-अलग श्रेणी/स्तर/कक्षा के होते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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