Skip to main content

ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश

सभी मनुष्यों को स्थूल शरीरों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये धन की जरुरत पड़ती है, लेकिन धन को ही संग्रहित करते रहने से यह इकठ्ठा किया हुआ धन ही एक दिन विषाद/जहर बन जाता है, इसलिए जीवन में मिले हुए अतिरिक्त धन को जरुरतमन्द लोगों में बांटते रहना चाहिये, ऐसा निरन्तर करते रहने से स्वयं का धन भी प्रसाद बन जाता है और प्रसाद में सदा भगवान का आशीर्वाद बना रहता है.....सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24