अन्य मनुष्यों/जीवों को भयभीत करना या धमकाना भी एक प्रकार का विकर्म/पाप ही है, क्योंकि हमारे कर्म द्वारा उन मनुष्यों/जीवों को दुख मिलता है और कर्म-सिद्धांत के अनुसार भविष्य में ऐसे किये पाप कर्मों का हमें दुख रुपी फल भोगने ही पड़ते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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