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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

एक साधारण मनुष्य मरते दम तक परमात्मा और प्रकृति में भेद ही समझ नहीं पाता। दोनों तत्वों में बहुत गहरा फासला है, जिसे हम पूरे जीवन में समझ नहीं पाते। परमात्मा को केवल मनुष्य योनि में ही जाना-समझा और पाया जा सकता है। मनुष्य चेतन है और परमात्मा परमचेतन है, जबकि प्रकृति तो जड़ है, इसलिए अन्ततः मनुष्य को आज नहीं, तो कल परमात्मा से प्रेम सहज ही करना होगा.....सुधीर भाटिया फकीर

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