भौतिक प्रकृति स्वभाव से ही अन्धकारमयी कही जाती है। प्रकृति के सभी सुख अस्थाई होते है, इसीलिये ऐसा भी कह दिया जाता है कि प्रकृति के सुख तो घंटो या दिनों के हिसाब से आते हैं, लेकिन दुख महीनों और सालों के हिसाब से ही आते देखे गए हैं, फिर भी सभी मनुष्य दिन-रात इन्ही भौतिक सुखों को पाने के लिये कर्म ही नहीं करते, बल्कि विकर्म/पाप भी करते देखे जाते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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