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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

भौतिक जगत यानी सँसार सभी मनुष्यों को प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देता है। मनुष्य इसी में अपना जीवन व्यतीत करता है। इसलिए यह सँसार नित्य ही लगता है, जबकि सर्वव्यापी परमात्मा, जिसकी सत्ता हर क्षण महसूस की जा सकती है, बस वही परमात्मा है, जो प्रत्यक्ष हमें दिखाई नहीं देता, लेकिन सदा टिका रहता है, हम सभी मनुष्यों को उस सत्ता विशेष से ही जुड़ना चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर

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