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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

मनुष्य योनि में ही हमारे-आपके द्वारा किए गए सभी प्रकार के कर्म और विकर्म प्रकृति रूपी मिट्टी में बोये गए बीजों के समान है, जो दिनों, महीनों, सालों या अगले जन्म/जन्मों में एक समय अंतराल के बाद ही पकने पर कर्माशय + संस्कारों के अनुसार 84,00000 योनियों में सुख-दुख रुपी फल यानी अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियों देते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

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