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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

भौतिक प्रकृति की 84,00000 योनियों के सभी असंख्य जीव, चाहे चींटी/हाथी या मनुष्य हो, सभी जीवों में ही हर क्षण सुख पाने की प्रवृत्ति और दुख से निवृत्ति की इच्छा सदा स्वभाव में बनी ही रहती है। इसीलिए सभी जीवों का होने वाला प्रत्येक कर्म-विकर्म भी इसी उद्देश्य से ही किया जाता है.....सुधीर भाटिया फकीर

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