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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

प्रकृति भगवान की ही एक अदालत है यानी प्रकृति में कर्मफल-सिद्धान्त के अनुसार केवल मनुष्य योनि में ही किये गये सभी पाप-पुण्य कर्मों का न्यायपूर्वक सुख-दुख रुपी फल व बने हुए संस्कारों के आधार पर ही 84,00000 योनियों में जन्म देती रहती है। इसलिए हम सभी मनुष्यों को कर्म की बारीकियों को भली-भांति जान लेना चाहिए......सुधीर भाटिया फकीर

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