सभी मनुष्यों को भाग्य से मिलने वाले सुख रुपी फलों के भोग से भी सदा बचना चाहिए, क्योंकि सभी भोग हमें क्रमशः अचेत करते जाते हैं, जिसके फलस्वरूप एक अचेत अवस्था में मनुष्य अन्य जीवों के लिए परोपकार व प्रकृति के संतुलन के लिए कर्म नहीं कर पाता और अन्ततः मनुष्य के पतन होने की संभावनाएँ बड़ जाती हैं......सुधीर भाटिया फकीर
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