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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

मनुष्य योनि में ही मनुष्य अपने जीवन में अपना सतोगुण बढ़ा सकता है, जिसके लिये मनुष्य को अपने जीवन में प्रकृति के सतोगुण का संग 100% करना चाहिए और तमोगुण के मल रुपी संग से अवश्य ही बचना होगा, जिसके परिणामस्वरूप मनुष्य संसारी विषय-भोगों के प्रति मर्यादा से अधिक रुचि से अपने आप को बचा सकता है, जो अक्सर मनुष्य के पतन का मुख्य कारण बनते हैं..... सुधीर भाटिया फकीर

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