सँसार में प्राय: ऐसा देखा गया है कि मनुष्यों के जीवन में प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से कोई न कोई भौतिक या आध्यात्मिक लक्ष्य बना ही होता है, फिर मन उसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ही भले ही स्थूल शरीर द्वारा प्रयास सीमित रुप से करता हो, लेकिन मन में चिन्तन तो धूमता ही रहता है.....सुधीर भाटिया फकीर
Comments
Post a Comment