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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

भगवान ने केवल मनुष्यों को ही स्वयं को जानने, समझने व पाने की एक पात्रता/योग्यता दी है यानी हम सभी मनुष्यों के पास एक सुनहरा अवसर है, इसलिए इस दिशा में हम आप जितनी भी मेहनत कर लेंगे, फिर ऐसी मेहनत कभी भी बेकार नहीं जाएगी, इसका आरंभ सत्संग करने से ही होता है, लेकिन कलयुग में एक साधारण मनुष्य अक्सर सत्संग करने के प्रति उदासीन बना रहता है.....सुधीर भाटिया फकीर

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