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"सन्ध्या-बेला सन्देश"

श्रद्धापूर्वक सत्संग, चाहे पढ़ने से हो या सुनने से, कभी बेकार नहीं जाता, फिर किये गये सत्संग का चिन्तन करते रहना चाहिए। यह चिन्तन ही एक दिन हमारा स्वभाव बन जाता है और जीवन की दिशा में सकारात्मक परिवर्तन ले आता है.....सुधीर भाटिया फकीर

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