एक साधारण मनुष्य का अपने जीवन में खाना-पीना यानी आहार, मैथुन, सोना/निंद्रा आदि भोग अनियन्त्रित रहते हैं और इन्हीं 3 भोगों के छिन जाने का सदा भय बना रहता है, जबकि पशु-पक्षियों के जीवन में यह भोग सीमा में रहते हैं, जिसके फलस्वरूप अधिकांश मनुष्य पशु-पक्षियों की तुलना में बहुत अधिक रोगग्रस्त देखे जाते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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