Skip to main content

"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

मनुष्य योनि में ही हम अपना स्वभाव बिगाड़ भी सकतें हैं और स्वभाव सुधार भी सकतें हैं। जीवन में सतोगुण का अधिक संग करने मात्र से ही हमारा स्वभाव सुधरने लगता है, जबकि तमोगुण का संग बढ़ने मात्र से हमारा स्वभाव बिगड़ने लगता है, जिसके फलस्वरूप हमारा स्थूल शरीर ही अपवित्र नहीं होता, बल्कि हमारा सूक्ष्म + कारण शरीर भी अपवित्र होने से मनुष्य की अधोगति के रास्ते बनने लगते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24