हम सभी मनुष्य एक नाव के समान हैं और सँसार एक सागर है। हमारे 5 विकार काम, क्रोध, लोभ, मोह व अहंकार लहरों के समान हैं। यह विकार रुपी लहरें मर्यादा में रहने से हमारी नाव नहीं डूबती, लेकिन मर्यादा से अधिक ऊँची लहरें मनुष्य रुपी नाव को ही डुबो देती हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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