जहाँ तक सम्भव हो सके, सभी मनुष्यों को अन्य जीवों या अभावग्रस्त मनुष्यों की प्रत्यक्ष रूप से मदद करनी चाहिए, अन्यथा समय का अभाव होने पर दान देने की इच्छा तो बनी ही रहनी चाहिए। ऐसा स्वभाव बना लेने से ही मनुष्य पाप-कर्म करने से डरता है.....सुधीर भाटिया फकीर
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