सभी मनुष्यों में सुख की इच्छा करना तो आत्मा का एक स्वभाव माना जाता है, लेकिन ज्ञान के अभाव में मनुष्य भौतिक विषय-भोगों को पाने की ही इच्छा करता है, जबकि यह इच्छाएं मनुष्य के जीवन में कभी भी समाप्त नहीं होती। मनुष्य योनि में हमें प्रभु पाने की इच्छा रखनी चाहिए, अर्थात् हमें केवल अपनी इच्छाओं की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा.....सुधीर भाटिया फकीर
Comments
Post a Comment