भौतिक प्रकृति की 84,00000 योनियो में केवल मनुष्य ही अपने जीवन में सेवा, सत्संग व स्वाध्याय जैसे सत्कर्म कर सकता है। ऐसा करते रहने से ही हमारा जीवन सफल हो पाता है, इन सभी सत्कर्मों के अभाव में मनुष्य का कुसंग सहज ही होने लगता है, जिसके फलस्वरूप मनुष्य की अधोगति होने की संभावनाएं बढ़ने लगती हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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