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"सन्ध्या-बेला सन्देश"

मोह हमेशा स्वार्थ की ही सवारी करता है और यह मोह किसी भी मनुष्य से तब तक ही रहता है, जब तक उससे सुख मिलता है और दुख मिलते ही यह मोह किसी बादल की भांति हट जाता है, जबकि प्रेम निस्वार्थ भाव से स्थाई रूप से बना रहता है.....सुधीर भाटिया फकीर

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