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"सन्ध्या-बेला सन्देश"

हमारा मन ही एक चाबी है, जो सँसार में लगने से सत्संग के अवसर पर ताला लगा देता है, जबकि यही मन सत्सँग में लग जाने मात्र से सँसार में जन्म-मरण के बन्धन रुपी ताले को ही खोल देता है.....सुधीर भाटिया फकीर

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