सँसार में प्राय ऐसा देखा जाता है कि अधिकांश मनुष्यों की सुखों को भोगने में परमात्मा की स्मृति कम या समाप्त हो जाती है, जबकि दुखों में परमात्मा की सहज ही स्मृति आ जाती है, फिर भी सभी मनुष्यों में सुखों की प्राप्ति के लिए ही भाग-दौड़ करते देखा जाता है.....सुधीर भाटिया फकीर
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