आध्यात्मिक ज्ञान के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा है। यह ज्ञान केवल पढ़ने या सुनने का ही विषय नहीं है, अपितु सुनने-पढ़ने के बाद चिंतन, मनन, शोध व अनुभव का विषय है। ऐसा चिंतन बने रहने से ही हमारे मन में परमात्मा की स्मृति यानी परमात्मा से प्रेम/योग होता है, अन्यथा मनुष्य भोगों में ही उलझा रहता है.....सुधीर भाटिया फकीर
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