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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

सँसार में अक्सर ऐसा देखा जाता है कि अधिकांश मनुष्यों को एकांत में बैठने से ही भय लगता है। एकांत हमें परमात्मा से जोड़ने में सहायक होता है, जबकि 2-3 या उससे अधिक होते ही हम संसारी भीड़ में खोने लगते है, जिसमें अक्सर भौतिक विषयों पर ही विचार-विमर्श होता है। आध्यात्मिक उन्नति के लिए हम सभी मनुष्यों अपने जीवन में एकान्त का स्वभाव भी बनाना चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर

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