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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

सँसार में अक्सर ऐसा देखा जाता है कि अधिकांश मनुष्यों का सत्सँग बेमन से होता है, जिसके फलस्वरूप किये गये सत्संग का पूर्ण लाभ नहीं मिल पाता, क्योंकि पुन: चिन्तन नहीं हो पाता। इसलिए सत्सँग हमारे व्यवहार/स्वभाव में दिखाई नहीं देता यानी हमारे कर्मों में सुधार नहीं आ पाता.....सुधीर भाटिया फकीर

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