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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

जैसे फलों का राजा आम है, वैसे ही 84,00000 योनियों में मनुष्य योनि को राजा योनि ही मानना चाहिए, क्योंकि मनुष्य योनि में मनुष्य परमात्मा रुपी मंजिल को पाने के लिए अपनी आध्यात्मिक यात्रा आरंभ कर सकता है, इसलिए मनुष्य जन्म पाकर हमें केवल परमात्मा को जानने की जिज्ञासा ही रखनी चाहिए, ताकि प्रकृति की उत्पत्ति, स्थिति व प्रलय के ज्ञान को समझते हुए भोगों से वैराग्य हो सके.....सुधीर भाटिया फकीर

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