कलयुग में प्राय ऐसा माना जाता है कि मनुष्य का स्वभाव बिगड़ने की संभावनाएँ अधिक बनी ही रहती हैं और अक्सर हमारे अधिकांश कर्म स्वभाववश ही होते हैं। इसलिए हम सभी मनुष्यों को अपने स्वभाव में निरंतर सुधार करने के लिए सत्सँग करते रहना चाहिए, ताकि हम पाप कर्मों से बच सकें.....सुधीर भाटिया फकीर
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