सभी जीवों की आत्माएँ स्वभाव से ही ज्ञानवान होती हैं, लेकिन प्रकृति के सम्मुख होने के कारण अधिकांश मनुष्य यानी आत्माएँ प्रकृति के 5 भोग विषयों में मर्यादा से अधिक आसक्त हो अपने मूल ज्ञान को आवर्त कर लेते हैं, जिसके फलस्वरूप हमारे अन्दर अलग-अलग स्तर अज्ञानता आ जाती है, जो केवल निरंतर सत्सँग करते रहने से ही जाती है.....सुधीर भाटिया फकीर
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