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"सन्ध्या-बेला संदेश"

आहार, नीन्द, मैथुन व भय आदि को पशु-वृति कहा गया है। यदि मनुष्य भी अपने जीवन में इन्हीं भोग-वृतियों में ही लिप्त रहता हुआ अपना जीवन व्यतीत करता है, तो मनुष्य सत्संग करने के मिले हुए अवसर को खो देता है.....सुधीर भाटिया फकीर

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