Skip to main content

"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

जीवन में निरंतर सत्संग करते रहने से ही भगवान के दिव्य गुणों का विशेष ज्ञान सुनने को मिलता है और ज्ञान ह्रदय में टिक जाने पर जीवन भर के संग्रह किए हुए धन/पदार्थ बेकार नजर आने लगते हैं, अर्थात् जीवन में की गई गल्तियों का ऐहसास होने लगता है। इसलिए हम सभी मनुष्यों को सभी बुराइयों से बचने के लिए मरते दम तक सत्संग करते ही रहना चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24