कर्म में ही योग की सबसे अधिक आवश्यकता है, जबकि ज्ञान और भक्ति दोनों ही अभौतिक है, क्योंकि आत्मा-परमात्मा चेतन तत्व हैं और भौतिक प्रकृति के पदार्थों की प्राप्ति के लिए कर्म करना भौतिक है। परमात्मा की भक्ति का होना या स्मृति बने रहना ही योग है, अन्यथा सब भोग ही है.....सुधीर भाटिया फकीर
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