Skip to main content

"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

मनुष्य योनि हमें स्वयं के सुधार के लिए तो मिली ही है, लेकिन अन्य जीवों के विकास में हमें किसी भी प्रकार की बाधा/अवरोध यानी उन्हें दुख/कष्ट या पीड़ा नहीं देनी है। अन्य मनुष्यों/जीवों को भयभीत करना/धमकाना या घूरकर देखना भी एक प्रकार का पाप ही है, क्योंकि हमारे इस कर्म द्वारा उन मनुष्यों/जीवों को दुख मिलता है और कर्म-सिद्धांत के अनुसार फिर भविष्य में हमें भी ऐसे किये पाप कर्मों का दुख रुपी फल भोगना ही पड़ता है.....सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24