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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

प्रकृति यानी 3 गुणों को जड़ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह सभी गुण चेतना रहित है। इनमें कभी कोई इच्छा नहीं रहती, इच्छा करना जीव/आत्मा का स्वभाव है, जैसाकि हम सभी जानते हैं, कि इच्छा केवल सुख की ही होती है, दुख की कभी इच्छा नहीं होती। जबकि प्रकृति तो द्वैत है, यानी यहां सुख-दुख दोनों मौजूद रहते हैं और दुखरहित सुख यानी आनन्द केवल परमात्मा की ओर सम्मुख होने से ही मिलेगा.....सुधीर भाटिया फकीर

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