यदि आपका मन सत्संग में जाकर नहीं टिकता, तो इस मन को भोगों की गलियों में आवारागर्दी करने से नहीं रोका जा सकता, इसलिए इस मन को जबरदस्ती सत्संग में लाने का निरन्तर अभ्यास करते रहो, विश्वास कीजिये, एक दिन यही मन बिना सत्संग के नहीं रह पायेगा.....सुधीर भाटिया फकीर
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