आनंद एक दिव्य गुण है, जो केवल भगवान के लिये ही प्रयोग में होता है, जबकि सभी आत्माएँ चेतन/ज्ञानयुक्त हैं और ज्ञान नित्य अपने स्वरुप में बना रहता है, भले ही आवर्त हो सकता है। प्रकृति के 3 गुण केवल सत्य है, लेकिन जड़ हैं, चेतन रहित हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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