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"सन्ध्या-बेला संदेश"

सँसार के अन्धेरे में सभी मनुष्यों के तन ठोकरें ही खाते हैं। इस सच्चाई को सभी मनुष्य स्वीकार भी करते हैं, लेकिन मन के अन्धेरे में यानी अज्ञानता में मन भटकता है, इस बात को स्वीकार करने में जीवन यूँ ही बीत जाता है.....सुधीर भाटिया फकीर

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