सभी धार्मिक कर्मकांड भले ही लोभ से किये जायें या भय से किये जायें, इनका केवल इतना ही लाभ होता है कि हम अपने जीवन में अधोगति से तो बच ही जाते हैं, अर्थात् - में जाने से बच जाते हैं, भले ही 0 के आस-पास ही रहते हैं यानी आध्यात्मिक उन्नति में गति नहीं आ पाती.....सुधीर भाटिया फकीर
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