अधिकांश मनुष्य भगवान को मानते हैं, लेकिन तत्व रुप से जानने वाले मनुष्य केवल गिनती के ही हैं, तब ऐसी स्थिति में जो लोग भगवान को बिना जाने ही मान लेते हैं, फिर ऐसे लोग अक्सर अंधविश्वास की खाई में गिर जाते हैं, जिसके फलस्वरूप यह लोग लोभवश या भयवश केवल कर्मकाण्ड करने में ही उलझे रहते हैं और भगवान प्रेम से वंचित रह जाते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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