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"सन्ध्या-बेला संदेश"

सत्संग करते-करते मनुष्य के जीवन में जितने-जितने अंश में अज्ञानता मिटती जाती है, उतने-उतने अंश में मूल ज्ञान अपने आप ही प्रकट होता जाता है और उतने ऊंचे अंश में सुख की इच्छा बनती जाती है। पूर्ण तत्वज्ञान हो जाने पर केवल आनंद को पाने की ही इच्छा बनती है.....सुधीर भाटिया फकीर

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